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क्या UDH मंत्री झाबर सिंह खर्रा को होगी सजा? अचानक से 18 साल पुराने केस में कोर्ट ने आरोप किए तय, जानिए क्या है भ्रष्टाचार का केस?

राजस्थान के यूडीएच मंत्री झाबर सिंह खर्रा की मुश्किलें बढ़ गई है। एसीबी कोर्ट ने यूडीएच मंत्री झाबर सिंह खर्रा समेत 5 लोगों के खिलाफ आरोप तय कर दिए हैं।

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चौक टीम, जयपुर। राजस्थान के यूडीएच मंत्री झाबर सिंह खर्रा की मुश्किलें बढ़ गई है। एसीबी कोर्ट ने यूडीएच मंत्री झाबर सिंह खर्रा समेत 5 लोगों के खिलाफ आरोप तय कर दिए हैं। एसीबी कोर्ट ने श्रीमाधोपुर पंचायत समिति में पेयजल आपूर्ति के टैंडर में धोखाधड़ी और पाइप खरीद में भ्रष्टाचार से जुड़े मामलें में श्रीमाधोपुर पंचायत समिति के तत्कालीन प्रधान झाबर सिंह खर्रा व तत्कालीन विकास अधिकारी उम्मेद सिंह के खिलाफ आरोप तय कर दिए है। करीब 18 साल पुराना मामला है।

दरअसल, जयपुर महानगर द्वितीय की एसीबी कोर्ट ने करीब 18 साल पहले पीएचईडी के पाइप खरीद के 14.14 लाख रुपए के घोटाला मामले में पंचायत समिति श्रीमाधोपुर, सीकर के तत्कालीन प्रधान झाबर सिंह खर्रा व तत्कालीन विकास अधिकारी उम्मेद सिंह राव सहित पांच लोगों के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण कानून व धोखाधड़ी के चार्ज तय किए हैं। जिन अन्य के खिलाफ ये चार्ज तय हुए हैं, उनमें पंचायत समिति के तत्कालीन जेएईएन कृष्ण कुमार गुप्ता, तत्कालीन कनिष्ठ लेखाकार नेहरू लाल और बधाला कंस्ट्रक्शन कंपनी के मालिक भैंरूराम शामिल हैं।

एसीबी कोर्ट के जज बृजेश कुमार ने फैसले में कहा कि तत्कालीन प्रधान झाबर सिंह खर्रा ने सह आरोपी कृष्ण कुमार गुप्ता व नेहरूलाल के साथ मिलकर 8 मार्च, 2006 को आपराधिक षड्यंत्र के तहत आपराधिक सहमति से पेयजल आपूर्ति के प्रस्ताव के लिए पंचायत समिति की एक बैठक की। उसके बाद उन्होंने टेंडर में भाग लेने वाले भैंरूराम से आपराधिक षड्यंत्र के तहत मिलीभगत व अपने लोक सेवक पद का दुरुपयोग करते हुए टेंडर प्रक्रिया में फर्जीवाड़ा किया था।

इसके बाद समिति ने भैंरूराम के पीवीसी पाइप का अधिकृत ठेकेदार नहीं होने और इस काम का उसे कोई अनुभव नहीं होने के बाद भी उसे सफल बोलीदाता घोषित कर टेंडर दिया। इस पर भैंरूराम ने टेंडर के अनुसार 6 केजी क्षमता के पाइप सप्लाई करने की बजाय गोयल पाइप उद्योग से 4 केजी प्रेशर क्षमता के पाइप खरीदे।

चार्ज तय होने के बाद अब मंत्री खर्रा सहित अन्य पांच लोगों पर ट्रायल चल सकेगा। कोर्ट अब इन पांचों के खिलाफ भ्रष्टाचार और धोखाधड़ी के चार्ज पर ट्रायल चलाएगी। जिसमें दोनों पक्षों की तरफ से अपनी-अपनी दलीलें दी जाएंगी और ट्रायल खत्म होने के बाद फाइनल फैसला आएगा। हालांकि इसके बीच में ही मंत्री खर्रा समेत कोई भी आरोपी हाईकोर्ट में रिवीजन दायर करके निचली कोर्ट के चार्ज तय करने के फैसले को चुनौती दे सकेगा। अगर एसीबी कोर्ट के फैसले पर हाईकोर्ट रोक लगाती है तो फिर पूरी प्रक्रिया रुक जाएगी।

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