राजस्थान बजट में अन्य राज्यों की पुरानी कारों के ट्रांसफर एवं पुन: रजिस्ट्रेशन शुल्क में की गई टैक्स बढोतरी में संशोधन की मांग को लेकर प्रदेशभर के कार डीलर्स आंदोलन की राह पर उतर आए हैं। आज पूरे राजस्थान से हज़ारों की संख्या में कार बाज़ार से जूड़े लोग जयपुर पहुँचे और महाबैठक का आयोजन कर आंदोलन की चेतावनी देते हुए रणनीति तैयार की। इस संबंध में पुरानी कारों के ऑल राजस्थान वाहन व्यापार संगठन ने मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा के नाम का ज्ञापन देकर टैक्स में राहत देने की मांग की है। संगठन की ओर से जयपुर में आयोजित प्रदेश स्तरीय बैठक में जुटे सैंकड़ों डीलर्स ने कहा कि पुराने टैक्स को यथावत रखा जाए। साथ ही चेतावनी दी है कि आगामी 15 दिन में राज्य सरकार ने सकारात्मक निर्णय नहीं लिया तो आंदोलन को तेज किया जाएगा।
संगठन के संयोजक रजत छाबड़ा ने बताया कि अन्य राज्यों से खरीदी गई गाड़ियों का राजस्थान में रजिस्ट्रेशन करवाने पर वन टाइम टैक्स, ग्रीन टैक्स के रूप में देश के अन्य राज्यों की तुलना में सर्वाधिक पहले ही था, मगर अब इस बजट में यह टैक्स तीन गुना कर दिया गया है। ऐसा होने से औसतन एक पुरानी गाड़ी के रजिस्ट्रेशन शुल्क में बेहताशा बढोतरी कर दी गई है।संगठन के पदाधिकारियों ने बताया कि प्रदेश में अन्य राज्यों से खरीदी गई लगभग 300 कारों का प्रतिदिन रजिस्ट्रेशन होता है, जिससे करीब करोड़ों रुपये राज्य सरकार को टैक्स के रूप में राजस्व की प्राप्ति होती है, अब नए बजट में टैक्स में बढोतरी करने के निर्णय से प्रदेश के 30 हजार कार डीलर्स प्रभावित होंगे।
जयपुर के श्यामनगर स्थित ऑटो जंक्शन के निदेशक राजेश अग्रवाल ने बताया कि इस टैक्स बढोतरी से अन्य राज्यों के वाहनों का रजिस्ट्रेशन बंद होने से राज्य सरकार को सालाना 600 करोड़ रुपए का नुकसान होगा। उन्होंने बताया कि पुरानी छूट को यथावत रखने की मांग को लेकर प्रदेशभर के डीलर्स आंदोलित हैं। श्रीगंगानगर, जोधपुर, कोटा, चितौड़गढ, अजमेर, भीलवाड़ा में डीलर्स एसोसिएशन ने प्रदर्शन कर प्रभारी मंत्रियों व जिला कलेक्टर्स को ज्ञापन दिए हैं। इस संबंध में प्रदेशभर के डीलर्स ने बैठक कर नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली, विधायक रविंद्र सिंह भाटी सहित करीब 15 विधायकों को ज्ञापन देकर टैक्स बढोतरी पर रोक लगाने की मांग की है। प्रदेश स्तरीय बैठक के बाद परिवहन मंत्री डॉ. प्रेमचंद बैरवा को ज्ञापन सौंपा। बैठक में आगामी आंदोलन की रणनीति के लिए 21 सदस्यीय प्रदेश स्तरीय संघर्ष समिति का गठन किया गया।