चौक टीम, जयपुर। देश में आज यानी 1 जुलाई से तीन नए आपराधिक कानून लागू हो जाएंगे। कानून की यह संहिताएं भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS), भारतीय न्याय संहिता (BNS) और भारतीय साक्ष्य अधिनियम (BSA) हैं। नए कानूनों में कुछ धाराएं हटा दी गई हैं तो कुछ नई धाराएं जोड़ी गई हैं। कानून में नई धाराएं शामिल होने के बाद पुलिस, वकील और अदालतों के साथ-साथ आम लोगों के कामकाज में भी काफी बदलाव आ जाएगा। भारतीय दंड संहिता में पहले 511 धाराएं थीं, अब 358 धाराएं रह गई है।
एक जुलाई से भारतीय न्याय संहिता के तहत ही रिपोर्ट दर्ज होगी, जिसके तहत अब आईपीसी की धारा 302 के स्थान पर भारतीय न्याय संहिता की धारा 103(1) लागू होगी. तीन नए कानून भारतीय न्याय संहित्ता 2023, भारतीय साक्ष्य अधिनियम 2023, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहित्ता 2023 आज यानी एक जुलाई से लागू हो रहे हैं। ये तीनों आईपीसी, सीआरपीसी और साक्ष्य कानून की जगह लेंगे।
बता दें 1860 में बनी आईपीसी, 1973 में बनी भारतीय दंड प्रक्रिया संहिता और 1872 के भारतीय साक्ष्य अधिनियम के तहत कार्य किया जा रहा था, अब एक जुलाई से आईपीसी की जगह भारतीय न्याय संहिता 2023, दंड प्रक्रिया संहिता की जगह भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023 और भारतीय साक्ष्य अधिनियम 2023 के प्रावधान व धाराएं लागू होंगी। भारतीय न्याय संहिता के तहत होने वाले कानुन व धाराओं के बदलाव को लेकर एडवोकेट रोहित छीपा ने खास बातचीत में जरूरी जानकारी दी है।
बदल जाएगी अपराध की पुरानी धाराएं
हत्या में आईपीसी की धारा 302 की जगह न्याय संहिता 2023 की धारा 103(1) लगेगी। दुष्कर्म की धारा 376 की जगह धारा 64(A) और चोरी की धारा 379 की जगह धारा 303 लगाई जाएगी। फ्रॉड की धारा 420 बदल कर 318 हो गई है। धारा बदलने के साथ जांच में इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्यों का महत्व रहेगा। घटनास्थल, गिरफ्तारी और अवैध सामानों की जब्ती में फोटो व वीडियो को काफी महत्व दिया गया है। इसे साक्ष्य के तौर पर पुलिस कोर्ट में प्रस्तुत करेगी। इसके अलावा थानाधिकारीयों को भी केश गवाही के लिए अदालत पेश नहीं होना पड़ेगा। वीडियो कांफ्रेस के माध्यम से इसे पूरा किया जाएगा। इसके अलावा विभिन्न जांच रिपोर्ट भी ऑनलाइन विवेचनाधिकारी के पास पहुंच जाएगी।