राजस्थान अब चुनावी मोड में है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शनिवार को गुर्जर समुदाय के देवता श्री देवनारायण की पूजा-अर्चना के लिए राजस्थान के भीलवाड़ा जिले के सुदूरवर्ती गांव मालासेरी पहुंचे। देश भर की सियासी नजरें और राजनीतिक विश्लेषकों की लेखनी राजस्थान के साथ देश के दो दिग्गज नेताओं पर है। वह है पीएम नरेंद्र मोदी और राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 3 महीने में तीसरी बार राजस्थान का दौरा कर चुके हैं और चौथा दौरा फरवरी में दौसा के मीणा हाईकोर्ट में प्रस्तावित है, जहां राहुल गांधी और टीम रात्रि ठहराव भारत जोड़ो यात्रा के दौरान कर चुके हैं।
सियासी हलकों में चर्चा है कि राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की फ्लैगशिप योजनाओं ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा को मजबूर कर दिया है कि वह लगातार दौरे कर चुनावी माहौल को बदलने का प्रयास करें।
सीएम का 156 सीटों का फार्मूला
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने हाल ही में 156 सीटों का फार्मूला देकर राजस्थान भाजपा में हलचल पैदा कर दी है, इसकी सबसे बड़ी वजह चिरंजीवी योजना, शहरी मनरेगा, इंदिरा रसोई,फसली कर्ज की माफी, मुफ्त बिजली, ओल्ड पेंशन स्कीम सहित तमाम 33 फ्लैगशिप योजनाओं का खाका , जो राजस्थान में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने तैयार किया है। आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भीलवाड़ा जिले के आसींद के गांव मालासेरी में गुर्जर समाज के लोक देवता भगवान देवनारायण के 1111 वें प्राकटोत्सव में शामिल हुए हैं। उनका अगला दौरा फरवरी की शुरुआत में है, 4 फरवरी को दौसा जिले के मीणा हाईकोर्ट में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी संबोधित कर सकते है। राजस्थान में गुर्जर और मीणा मतदाता एक तिहाई सीटों पर परिणाम बदलने की ताकत रखते हैं। ऐसे में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा के लिए यह दोनों ही जातियां जिन का वोट प्रतिशत प्रत्येक चुनाव में बेहतर रहा है, मायने रख रही है।
पीएम कर रहे वोटर्स को लुभाने की जुगत
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि गुर्जर समुदाय के देवता के मंदिर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की यात्रा के पीछे धार्मिक मान्यताओं के इतर प्रभावशाली समुदाय को लुभाने की कोशिशों का हिस्सा है। यह ऐसे समय में बेहद अहम हो जाता है जब कांग्रेस के राजस्थान में प्रमुख नेता सचिन पायलट राजनीतिक टकराव के तौर पर उभर रहे हैं। आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दौरे के पीछे एक सियासी तस्वीर भी है, जो राजस्थान की 200 विधानसभा सीटों में से करीब 40 और लोकसभा की एक दर्जन सीटों पर अपने मतों से परिणाम को प्रभावित करने की ताकत रखते हैं।
भाजपा का गुर्जरों पर दांव तय
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दौरे की एक बड़ी वजह यह भी है कि वर्ष 2018 के विधानसभा चुनाव में भाजपा की तरफ से मैदान में उतारे गए सभी नौ प्रमुख गुर्जर उम्मीदवार चुनाव हार गए थे। जबकि कांग्रेस से मैदान में उतारे गए इसी समुदाय के उम्मीदवारों ने जीत का परचम लहराया था। टोंक से सचिन पायलट, बानसूर से शकुंतला रावत, विराट नगर से इंद्राज सिंह गुर्जर, बूंदी से अशोक चांदना और बसपा के टिकट पर जोगिंदर अवाना जो बाद में कांग्रेस में शामिल हुए वह गुर्जर समुदाय से आते हैं। राजस्थान भाजपा की कोशिश है कि प्रदेश में कांग्रेस में चल रहे सत्ता संघर्ष के बीच में अगर गुर्जर मतदाताओं को अपनी ओर मोडा जाए तो परिणाम बेहतर रह सकते हैं। ऐसे में यह दौरा सियासी हल्के में बेहद मायने रख रहा है।
नेता विहीन है गुर्जर
सियासी हलके में एक बड़ी चर्चा यह भी है कि गुर्जर समुदाय के सबसे बड़े नेता किरोड़ी सिंह बैंसला के निधन के बाद एक नेतृत्व का अभाव है। गुर्जर समुदाय संगठित तौर पर नजर नहीं आ रहा है, वही गुर्जरों ने कांग्रेस को वोट दिया उसके पीछे की वजह सचिन पायलट को सत्ता की बड़ी कुर्सी मिलने सपना था, लेकिन ऐसा हुआ नहीं। ऐसे में यह मतदाता आसानी से कांग्रेस से छिटक सकते हैं। इसका फायदा उठाने का मौका भाजपा अपने हाथ से छूटने देना नहीं चाहती। गुर्जर केवल राजस्थान में नहीं साथ में मध्य प्रदेश, हरियाणा, पंजाब, उत्तर प्रदेश सहित कई राज्यों में अपनी राजनीतिक साख रखते हैं। ऐसे में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के इस दौरे से इन मतदाताओं को लुभाने की कोशिश नजर आ सकती है। हालांकि राजस्थान भाजपा के तमाम नेता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के इस दौरे में को सियासी नहीं मानते, उनका कहना है कि हर चीज को राजनीति से जोड़कर देखना उचित नहीं है। लेकिन पीछे की तस्वीर बताती है कि मकसद कहीं ना कहीं गुर्जर वोटों को अपने पक्ष में लाना है।
किसके पाले मे वोट
राजस्थान में गुर्जरों की आबादी 9 फीसदी के करीब है। पूर्वी राजस्थान में इनका जबरदस्त प्रभाव है, हालांकि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की फ्लैगशिप योजनाओं और एमबीसी आरक्षण के चलते भाजपा के लिए गुर्जर मतदाताओं को अपने पक्ष में करना आसान नहीं होगा। सचिन पायलट के समर्थक भी कांग्रेस को वोट करते नजर आएंगे।
गौरतलब है की राजनीतिक तौर पर पिछड़े गुर्जर समुदाय की तरफ देशभर की निगाहें वर्ष 2008 में हुए गुर्जर आंदोलन में भड़की हिंसा के दौरान हुई थी। कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला ने गुर्जर समुदाय को राजनीतिक स्तर पर संगठित किया और एक महत्वपूर्ण वोट बैंक के तौर पर राजनीतिक पार्टियों की जरूरत बनाया। राजस्थान की 200 विधानसभा सीटों में से करीब 70 में एमबीसी वोट बैंक 25 से 75 हजार के बीच में है। ऐसे में राजनीतिक तौर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की यात्राओं को बेहद गंभीरता से भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस, मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और राजस्थान कांग्रेस देख रही है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का अगला संभावित दौरा दौसा के मीणा हाईकोर्ट में है, जहां राजस्थान की राजनीतिक ताकत के रूप में सभा हो सकती है। सियासी समीकरण तय करने में यह प्रभावी कदम साबित हो सकते है।