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पेपर लीक को लेकर लोकसभा में बिल पास, मोदी सरकार पर डोटासरा ने उठाए सवाल; जानिए यह राजस्थान के कानून से कितना अलग?

राजस्थान में लोकसभा चुनाव से पहले एक बार फिर से पेपर लीक का मुद्दा तूल पकड़ता जा रहा है। अब मोदी सरकार ने लोकसभा में पेपरलीक कानून को पेश किया है।

चौक टीम, जयपुर। राजस्थान में लोकसभा चुनाव से पहले एक बार फिर से पेपर लीक का मुद्दा तूल पकड़ता जा रहा है। अब मोदी सरकार ने लोकसभा में पेपरलीक कानून को पास करवाया है, जिसके तहत पेपरलीक माफियाओं को अधिकत 10 साल की सजा और 1 करोड़ रुपए के जुर्माने का प्रावधान है। वहीं इससे पहले राजस्थान में पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार इसी तरह का कानून बना चुकी है, जिसमें परीक्षा में गड़बड़ी के दोषियों को ताउम्र जेल (उम्र कैद) का प्रावधान है। इसलिए पीसीसी चीफ गोविंद सिंह डोटासरा ने केन्द्र के कानून पर सवाल उठाए हैं।

‘अधिकतम 10 साल की जेल और एक करोड़ रुपए जुर्माना’

दरअसल, मोदी सरकार ने परीक्षाओं में गड़बड़ी से सख्ती से निपटने के लिए ‘लोक परीक्षा (अनुचित साधनों का निवारण) विधेयक-2024’ मंगलवार को लोकसभा में पास करवाया है। विधेयक में परीक्षाओं में गड़बड़ी के अपराध के लिए अधिकतम 10 साल की जेल और एक करोड़ रुपए तक के जुर्माने का प्रावधान है। मंत्रिमंडल ने हाल ही विधेयक को मंजूरी दी थी। कार्मिक राज्यमंत्री जितेंद्र सिंह ने विधेयक लोकसभा में पेश किया था।

वहीं, इस बिल के प्रावधानों के मुताबिक प्रतियोगी परीक्षाओं में गड़बड़ी पर विद्यार्थियों को निशाना नहीं बनाया जाएगा। संगठित अपराध, माफिया और सांठगांठ में शामिल लोगों के खिलाफ कार्रवाई होगी। यह केंद्रीय कानून होगा। संयुक्त प्रवेश परीक्षाएं व केंद्रीय विश्वविद्यालयों में दाखिले के लिए होने वाली परीक्षाएं भी इसके दायरे में आएंगी।

केन्द्र के मुकाबले राजस्थान का बिल ज्यादा सख्त

आपको बता दें लोकसभा में मंगलवार को पास हुआ ‘लोक परीक्षा (अनुचित साधनों का निवारण) विधेयक 2024 के सख्त प्रावधान ऐसे वक्त पर लाया गया है, जब राजस्थान में इसी तरह का ‘राजस्थान सार्वजनिक परीक्षा संशोधन विधेयक 2023’ विधानसभा में पारित होने के बाद सख्त क़ानून के तौर पर प्रभावी है। इधर केंद्र के विधेयक से तुलना में राजस्थान में लागू क़ानून और इसके प्रावधान कई मायनों में ज़्यादा सख्त नज़र आते हैं।

राजस्थान में आजीवन कारावास का प्रावधान

मालूम हो कि राजस्थान में नकल विरोधी कानून पहले से बना हुआ था लेकिन इसके बावजूद भी लगातार पेपर आउट होते रहे। ऐसे में पेपर लीक माफियाओं पर लगाम लगाने के लिए पूर्ववर्ती गहलोत सरकार में सख्त कानून बनाया गया। इस कानून में पहले 10 साल की सजा का प्रावधान किया गया था। बाद में बेरोजगार युवाओं की मांग को ध्यान में रखते हुए जुलाई 2023 में संशोधन करते हुए आजीवन कारावास का प्रावधान किया गया। यानी राजस्थान में को कानून बना है। वह कानून केंद्र सरकार द्वारा तैयार किए गए बिल से भी सख्त है।

संपत्ति कुर्क करने का भी है प्रावधान

राजस्थान में प्रभावी क़ानून में परीक्षाओं में गड़बड़ी करने के दोषी पाए जाने वालों की संपत्ति कुर्क करने का भी सख्त प्रावधान है। जबकि ऐसे कोई प्रावधान फिलहाल केंद्र सरकार की ओर से पेश विधेयक में नहीं है।

मोदी सरकार के बिल पर डोटासरा ने उठाए सवाल

वहीं, पीसीसी चीफ गोविंद सिंह डोटासरा ने अपने X हैंडल पर लिखा कि, ‘पेपरलीक मामले पर राजस्थान सरकार द्वारा बनाए गए कानून में दोषी के लिए 10 साल की न्यूनतम सज़ा है, और केंद्र सरकार द्वारा लाए गए बिल में न्यूनतम सजा सिर्फ 1 साल। अब युवा तय करे पेपरलीक पर किसने कड़ा क़ानून बनाया! दोषियों को कड़ी सज़ा देने की मंशा किसकी थी।

https://twitter.com/GovindDotasra/status/1754814885559509294?s=20

उन्होंने आगे कहा कि BJP के पिछले कार्यकाल में यहां करीब 20 पेपर लीक हुए। एमपी, हरियाणा, गुजरात सब जगह पेपरलीक लीक हुए। इसीलिए हम बार बार कह रहे थे ये देश की समस्या है, केंद्र को इस पर कड़ा क़ानून बनाना चाहिए लेकिन तब इन्होंने कोई क़दम नहीं उठाया। और जब राजस्थान की कांग्रेस सरकार ने यहां कानून बना दिया तो अब केंद्र की भाजपा सरकार को पेपरलीक पर कानून बनाना याद आया है।

विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने उठाया था ये मुद्दा

आपको बता दें राजस्थान के विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने पेपरलीक के मुद्दे को खूब भुनाया। इस मुद्दे ने अशोक गहलोत सरकार की विदाई में बड़ी भूमिका निभाई। भाजपा ने चुनावी रैली के दौरान पेपरलीक के मुद्दे पर विपक्ष पर खूब तीखे प्रहार किए। यहां तक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चुनावी रैलियों के दौरान पेपरलीक मामले पर गहलोत सरकार को खूब ललकारा था।

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