चौक टीम, जयुपर। राजस्थान कांग्रेस में चल रही अंतर्कलह को लेकर कल यानि 6 जुलाई को दिल्ली में बड़ी बैठक होने वाली है. लेकिन, कांग्रेस इस मीटिंग को चुनावी रणनीति पर आधारित बता रही है. साथ ही कांग्रेस के नेताओं का कहना है कि इस बैठक का एकमात्र एजेंडा ‘चुनावी मैनेजमेंट’ होगा. इसमें राजस्थान कांग्रेस के सभी दिग्गज नेता पहुंचेगे. बैठक में आलाकमान की ओर से संगठन और मंत्रिमंडल में आमूलचूल परिवर्तन करने की चर्चा है.
बैठक में वीसी के माध्यम से जुडेंगे सीएम गहलोत
कांग्रेस आलाकमान राजस्थान कांग्रेस के संगठन को मजबूती प्रदान करने और पार्टी के अन्दर नेताओं में आपसी कलह को लेकर कल दिल्ली में एक बैठक करने जा रहा है. मीटिंग में सीएम गहलोत संभवतया वीसी के माध्यम से जुड़ेंगे. साथ ही प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा, पीसीसी अध्यक्ष गोविंद डोटासरा, पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट, विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी, रामेश्वर डूडी, हरीश चौधरी, धीरज गुर्जर, भंवर जितेंद्र सिंह, मोहन प्रकाश, रघुवीर मीणा, शंकुतला रावत, कटारिया व प्रताप सिंह खाचरियावास जैसे अन्य नेताओं को बैठक में बुलाया गया है. राजस्थान कांग्रेस इस बैठक को चुनावी रणनीति को लेकर पहली बड़ी बैठक के तौर पर प्रदर्शित कर रही है.
पार्टी नेताओं की सुलह में इतनी देरी क्यों?
आगामी विधानसभा चुनाव को मद्देनजर रखते हुए कांग्रेस आलाकमान पार्टी में अंदूरनी तौर पर नेताओं में चल रही कलह को दूर करना चाहता है. साथ ही कांग्रेस चाहती है कि राजस्थान में किसी भी कीमत पर वापस सरकार रिपीट करें. हालांकि कांग्रेस आलाकमान के इस निर्णय को देरी भरा बताया जा रहा है.
कहा जा रहा है कि पायलट ऐसी कौनसी बात मनवाना चाहते हैं, जो मुख्यमंत्री गहलोत उसे पूरा नहीं कर पा रहे हैं और आलाकमान दोनों के विवाद को सुलझा नहीं सकता. कांग्रेस से लगातार एक ही सवाल किया जा रहा कि विधानसभा चुनाव पास आने के बाद भी पार्टी नेताओं की सुलह में इतनी देरी क्यों हो रही है?
कुछ दिन पहले पायलट ने रखी थी 3 मांग
दरअसल, हाल ही में कांग्रेस नेता सचिन पायलट ने भ्रष्टाचार के मुद्दे पर अजमेर से जयपुर तक जन संघर्ष यात्रा निकाली थी. इस दौरान उन्होंने आरोप लगाया था कि उनकी पार्टी के नेता और सीएम अशोक गहलोत ने वसुंधरा राजे की सरकार के दौरान हुए कथित भ्रष्टाचार को लेकर कोई कार्रवाई नहीं की है. पायलट लगातार कह रहे हैं कि साढ़े चार साल से ज्यादा हो गए लेकिन राज्य सरकार ने भ्रष्टाचार पर कुछ नहीं किया. पदयात्रा के दौरान सचिन पायलट ने 3 मांगों को रखा था और 15 दिन यानी 31 मई तक पूरी करने का अल्टीमेटम दिया था.
गहलोत-पायलट विवाद को लेकर टिकी निगाहें
वहीं, कांग्रेस अध्यक्ष खड़गे और पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने अशोक गहलोत और सचिन पायलट से 29 मई को दिल्ली में मुलाकात की थी. इस बैठक के बाद पार्टी ने दावा किया था कि दोनों नेता साथ काम करने के लिए तैयार हैं. हालांकि, इसके दो दिन बाद ही टोंक पहुंचे पायलट ने संकेत दे दिया कि वह अपने रुख पर कायम हैं. अब फिर से दिल्ली में बड़ी बैठक होने जा रही है. इस बैठक में सभी कि निगाहें इस बात पर टिकी हैं की गहलोत-पायलट विवाद को लेकर कांग्रेस आलाकमान क्या निर्णय लेता है.