चौक टीम, जयपुर। राजस्थान का बहुचर्चित भंवरी देवी अपहरण और हत्याकांड के मामले को लेकर एक खास खबर सामने आई है। एक याचिका पर सुनवाई करते हुए राजस्थान हाईकोर्ट ने मृतका भंवरी देवी के पति अमरचंद के अलावा उनके अन्य वारिशों को साल 2011 से बकाया सेवा परिलाभ, नियमित पेंशन और सेवानिवृत्ति परिलाभ चार माह के भीतर देने के आदेश दिए हैं। बता दें राजस्थान हाईकोर्ट में एएनएम भंवरी देवी के पुत्र और पुत्री की ओर से पेंशन के परिलाभ नहीं मिलने पर याचिका लगाई गई थी।
समस्त परिलाभ चार महीने में देने के आदेश
बता दें याचिका में अधिवक्ता यशपाल खिलेरी ने बताया कि मृतका के पुत्र एवं पुत्रियों को 12 साल बाद भी परिलाभ नहीं दिए गए हैं। जिसके बाद जस्टिस अरूण मोंगा की एकल पीठ ने इस संबंध में फैसला सुनाया। उन्होंने चिकित्सा विभाग को भंवरी देवी के 1 सितंबर 2011 से बकाया सेवा परिलाभ और नियमित पेंशन व सेवानिवृत्ति परिलाभ की गणना कर समस्त परिलाभ चार महीने में ब्याज के साथ देने के आदेश दिए हैं।
इसके साथ ही ये आदेश भी दिया कि भंवरी के पति अमरचंद का हिस्सा डिपार्टमेंट के पास रहेगा। बेल मिलने पर उसे यह हिस्सा मिलेगा। अमरचंद इसी हत्याकांड में अभी जोधपुर जेल में बंद है।
2018 में बेटे की लगी थी अनुकंपा नौकरी
दरअसल, सीबीआई इस मामले में भंवरी देवी को मृत मान रही है, लेकिन राज्य सरकार एवं जिला कलेक्टर ने लम्बे समय उनको मृत नहीं माना। मृतका के पुत्र साहिल पेमावत को मृत्यु प्रमाण पत्र जारी करते हुए मृतक आश्रित अनुकम्पा नियुक्ति दी गई थी। अनुकम्पा नियुक्त तो मिल गई, लेकिन आज तक चिकित्सा विभाग ने मृतका के परिजनों को बकाया पेंशन एवं अन्य परिलाभ का भुगतान नहीं किया है।
इस मामले में चिकित्सा विभाग की ओर से तर्क दिया गया कि मृतका भंवरी ने अपने नोमिनी में अमरचंद का नाम लिखा था और वो जेल में होने की वजह से परिलाभ नहीं दिए गए। जबकि मृतका के पति अमरचंद ने अपने पुत्र-पुत्रियों को पेंशन एवं अन्य परिलाभ प्रदान करने के लिए लिखित में सहमति दी थी।
ये है पूरा मामला
वहीं, कोर्ट में बताया गया कि मृतका जो कि याचिकाकर्ताओं की माता थी और चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग में महिला स्वास्थ्य कार्यकर्ता यानी की एएनएम के पद पर कार्यरत थी। 1 सितम्बर, 2011 को घर से बाहर गई थी, लेकिन वापस नहीं आई। इसके बाद पता चला कि उनकी हत्या कर दी गई है।
मामला हाई प्रोफाइल होने पर तत्कालीन सरकार ने इस मामले को सीबीआई के हवाले कर दिया था। उस समय सीबीआई ने इस मामले में तत्कालीन राज्य सरकार के काबीना मंत्री महिपाल मदेरणा और लूणी विधायक मलखान सिंह बिश्नोई सहित करीब 13 आरोपियों को गिरफ्तार कर जेल की सलाखों के पीछे भेज दिया गया था।