चौक टीम, जयपुर। स्टेट बैंक आफ इंडिया यानी एसबीआइ ने सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल कर इलेक्टोरल बॉन्ड की जानकारी चुनाव आयोग को देने के लिए 30 जून तक का समय देने का अनुरोध किया है। बता दें सुप्रीम कोर्ट ने पिछले दिनों चुनावी बॉन्ड स्कीम को रद्द कर दिया था। साथ ही कोर्ट ने एसबीआई को चुनावी बॉन्ड की जानकारी 6 मार्च तक देने का आदेश चुनाव आयोग को दिया था और साथ ही चुनाव आयोग से कहा था कि वह 13 मार्च को जानकारी वेबसाइट पर सार्वजनिक कर दे।
इलेक्टोरल बॉन्ड भारत का सबसे बड़ा घोटाला- अशोक गहलोत
अब स्टेट बैंक आफ इंडिया के इस कदम पर कांग्रेस नेता और राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने सवाल खड़ा किया है। उन्होंने कहा है कि, “SBI द्वारा इलेक्टोरल बॉन्ड देने वालों के नाम सुप्रीम कोर्ट को देने की समयसीमा को 13 मार्च से बढ़ाकर 30 जून करने की याचिका दायर करना स्पष्ट संकेत है कि भाजपा सरकार बहुत कुछ छिपाना चाहती है। आजकल बैंकों का सारा रिकॉर्ड कंप्यूटर में दर्ज होता है इसलिए इस रिकॉर्ड को निकालना मिनटों का काम है इसके बावजूद समय मांगना दिखाता है कि SBI चुनाव से पहले BJP को एक्सपोज होने से बचाने का प्रयास कर रहा है। मैं पुन: कहूंगा कि इलेक्टोरल बॉन्ड भारत का सबसे बड़ा घोटाला है जिससे मोदी सरकार ने भ्रष्टाचार को एक कानूनी अमलीजामा पहनाने का प्रयास किया।”
राहुल गांधी भी इस पर सवाल उठा चुके हैं
इससे पहले कांग्रेस के वरिष्ठ नेता राहुल गांधी भी इस पर सवाल उठा चुके हैं। उन्होंन अपने एक्स हैंडल पर लिखा कि, ‘नरेंद्र मोदी ने ‘चंदे के धंधे’ को छिपाने के लिए पूरी ताकत झोंक दी है। जब सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि इलेक्टोरल बॉन्ड का सच जानना देशवासियों का हक है, तब SBI क्यों चाहता है कि चुनाव से पहले यह जानकारी सार्वजनिक न हो पाए?’
राहुल गांधी ने आगे कहा कि एक क्लिक पर निकाली जा सकने वाली जानकारी के लिए 30 जून तक का समय मांगना बताता है कि दाल में कुछ काला नहीं है, पूरी दाल ही काली है। देश की हर स्वतंत्र संस्था ‘मोडानी परिवार’ बन कर उनके भ्रष्टाचार पर पर्दा डालने में लगी है। चुनाव से पहले मोदी के ‘असली चेहरे’ को छिपाने का यह ‘अंतिम प्रयास’ है।
सुप्रीम कोर्ट ने दिया था ये आदेश
बता दें कि सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ की बेंच ने 15 फरवरी 2024 को चुनावी बॉन्ड स्कीम को असंवैधानिक और RTI का उल्लंघन करार देते हुए तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी थी। सीजेआई की अध्यक्षता वाली 5 जजों की बेंच ने एसबीआई को अप्रैल 2019 से अब तक मिले चंदे की जानकारी 6 मार्च तक चुनाव आयोग को देने के लिए कहा था। कोर्ट ने चुनाव आयोग से 13 मार्च तक यह जानकारी अपनी वेबसाइट पर अपलोड करने के लिए कहा था।
SBI ने अपने आवेदन में कोर्ट से क्या कहा?
एसबीआइ का कहना है कि इलेक्टोरल बॉन्ड में गोपनीयता बनाए रखने और पहचान उजागर न होने के लिए कड़े उपाय किए गए थे। ऐसे में इलेक्टोरल बॉन्ड की डिकोडिंग और उसका वास्तविक दानकर्ता से मिलान करना एक जटिल प्रक्रिया है।
एसबीआइ ने अपने आवेदन में कोर्ट से कहा कि 12 अप्रैल 2019 से 15 फरवरी 2024 तक विभिन्न पार्टियों को चंदे के लिए 22 हजार 217 चुनाव बॉन्ड जारी किए गए हैं। भुनाए गए बॉन्ड को प्रत्येक चरण के आखिरी में अधिकृत शाखाओं द्वारा सीलबंद लिफाफे में मुंबई मुख्य शाखा में जमा किए गए थे। एसबीआई ने कहा कि दोनों सूचना साइलो की जानकारी इकट्ठा करने के लिए 44 हजार 434 सेटों को डिकोड करना होगा। ऐसे में सुप्रीम कोर्ट द्वारा तय 3 हफ्ते का समय पूरी प्रोसेस के लिए पर्याप्त नहीं है। इसलिए जून तक का समय दिया जाना चाहिए।