चौक टीम, श्रीगंगानगर। आटा चक्की पर काम करते हुए श्रमिक का हाथ फैन बेल्ट में आ गया और बाजू के पास से कटकर अलग हो गया। इस कटे हुए हाथ को सुखाडिय़ा मार्ग स्थित टांटिया हॉस्पिटल (मल्टीस्पेशिलिटी क्रिटिकल केयर सेंटर) में जोड़कर रोगी को पूर्णत: स्वस्थ कर दिया गया है। कमाल के इस जटिल ऑप्रेशन को प्लास्टिक एंड रिकंस्ट्रक्टिव सर्जरी विशेषज्ञ डॉ. मनोज गर्ग ने किया है।
आपको बता दें सेतिया कॉलोनी निवासी सिंदू (21) आटा चक्की पर काम करता है। उसने हाथ में कड़ा पहन रखा था। इससे चक्की के फैन बेल्ट में उसका हाथ आ गया और बाजू से कट कर अलग हो गया। उसे तुरंत ही टांटिया हॉस्पिटल लाया गया। यहां डॉ. मनोज गर्ग ने देखा और तुरंत रिप्लांटेशन सर्जरी ऑफ अपर लिंब करने का निर्णय किया। इस ऑप्रेशन में हाथ की नसों को जोड़ा गया। ऑप्रेशन लगभग सात घंटे तक चला और सफल रहा। अब सिंदू पूर्णत: स्वस्थ है। इसमें निश्चेतन विशेषज्ञ डॉ. सीमा माहेश्वरी एवं अस्थि एवं जोड़ रोग विशेषज्ञ डॉ. आशीष छाबड़ा के अलावा ओटी स्टाफ का योगदान भी रहा। इस सफलता की जानकारी शनिवार को डॉ. मनोज गर्ग ने पत्रकारों से सांझा की।
बीकानेर संभाग और पंजाब एवं हरियाणा के पड़ोसी जिलों में इस प्रकार का ऑप्रेशन सफलतापूर्वक करने में डॉ. मनोज गर्ग पहले सर्जन हैं। राजस्थान या कहें तो उत्तर भारत में भी इस तरह के जटिल ऑप्रेशन नाममात्र के ही हुए हैं। उन्होंने बताया कि घटना के डेढ़ घंटे में ही रोगी और कटा हुआ हाथ लेकर पहुंच जाने से ऑप्रेशन में सुविधा रही।
डॉ. गर्ग के अनुसार इस तरह शरीर से अलग हुए अंग को अगर छह घंटे में जोड़ दिया जाए तो सफलता की संभावना बढ़ जाती है, उन्होंने यह भी कहा कि किसी प्रकार का हादसा होने पर शरीर के अलग हुए हिस्से को प्लास्टिक की थैली में सावधानी से डालकर बर्फ रखे डिब्बे में डॉक्टर के पास ले जाना चाहिए।
उल्लेखनीय है कि टांटिया हॉस्पिटल में इस प्रकार के जटिल ऑप्रेशन के लिए समस्त प्रकार की सुविधाएं, उपकरण और टीम उपलब्ध हैं। पूर्व में अनेक प्रकार के जटिल ऑप्रेशन करके टांटिया हॉस्पिटल ने इस सीमांत क्षेत्र में अपनी विशिष्ट पहचान बनाई है।