चौक टीम, अजमेर। 1993 सिलसिलेवार बम धमाकों के मामले में मास्टरमाइंड कुख्यात आतंकी सैयद अब्दुल करीम टुंडा सहित तीन के खिलाफ अजमेर की टाडा कोर्ट आज अपना अंतिम फैसला सुनाएगी। बता दें 31 साल बाद न्यायालय से अंतिम फैसला आएगा। बाबरी मस्जिद ढहाने की वर्षगांठ पर 6 दिसंबर, 1993 को मुंबई, सूरत, कानपुर, हैदराबाद और लखनऊ में सीरियल ब्लास्ट हुए थे। बता दें मास्टरमाइंड कुख्यात आतंकी सैयद अब्दुल करीम टुंडा सहित तीन के खिलाफ अजमेर की टाडा कोर्ट में प्रकरण चल रहा है।
नेपाल बॉर्डर से हुई थी गिरफ्तारी
दरअसल, 1993 सिलसिलेवार बम धमाके मामले में अजमेर की टाडा कोर्ट कुछ देर में फैसला सुनाएगी। आतंकी अब्दुल करीम उर्फ़ टुंडा, इरफ़ान और हमीमुद्दीन पर मुंबई, सूरत, कानपुर, हैदराबाद और लखनऊ में सीरियल ब्लास्ट का आरोप हैं। अब्दुल करीम साल 2013 में नेपाल बॉर्डर से पकड़ा गया था, टुंडा 24 सितंबर 2023 से अजमेर जेल मे बंद है।
टुंडा के वकील ने मीडिया से बातचीत में कहा कि टुंडा के खिलाफ चार्जशीट पेश नहीं हो पाई। टुंडा के खिलाफ कोई भी डायरेक्ट एविडेंस नहीं आया। टुंडा को गिरफ्तार करने वाले अफसर भी कोर्ट में पेश नहीं हुए।
31 साल बाद न्यायालय से अंतिम फैसला आएगा
आपको बता दें कि साल 1993 को कानपुर, हैदराबाद और सूरत की ट्रेनों में हुए सिलसिलेवार बम धमाकों को लेकर आज 31 साल बाद न्यायालय से अंतिम फैसला आएगा। इस मामले में आरोपित आतंकी अब्दुल करीम उर्फ टुंडा, इरफान एवं हमीमुद्दीन जेल में बंद हैं। पहले टुंडा उत्तर प्रदेश की गाजियाबाद जेल में बंद था, जहां से उसे 24 सितंबर, 2023 को अजमेर लाया गया था। बम धमकों के बाद टुंडा फरार हो गया था, जिसे 2013 में नेपाल सीमा से पकड़ा गया था।
तीन आतंकियों के खिलाफ आएगा फैसला
मामले का मुख्य आरोपी आतंकी अब्दुल करीम उर्फ टुंडा, इरफान, हमीमुद्दीन जेल में बंद है। मामले की जांच करते हुए एनआईए ने नेपाल बॉर्डर से टुंडा को गिरफ्तार किया था। उसे पिछले साल 24 सितंबर को उत्तर प्रदेश की गाजियाबाद जेल से अजमेर लाया गया था। टुंडा लश्कर जैसे कुख्यात आतंकी गिरोह से जुड़ा था। साल 1985 में अब्दुल करीम टोंक जिले की एक मस्जिद में जिहाद मीटिंग के दौरान पाइप गन चलाया था। इस दौरान गन फटने से उसका हाथ उड़ गया था, तबसे उसके नाम से आगे टुंडा शब्द जुड़ गया।