चौक टीम, जयपुर। वीरभूमी राजस्थान के शेखावाटी इलाके में झुंझुनू के दो लाल जम्मू कश्मीर के डोडा में आतंकवादियों से लौहा लेते हुए शहीद हो गए। आज ही दोनों शहीद सिपाही अजय सिंह नरुका और सिपाही बिजेंद्र कुमार का पार्थिव शरीर उनके पैतृक गांव भैसावता और डुमोली पहुंचा था। इनकी शहादत के बाद से ही दोनों ही गांव में मातम पसरा हुआ है। वहीं दोनों जवानों का सैन्य सम्मान के साथ अंतिम संस्कार कर दिया गया है। शहीदों के सम्मान में स्थानीय लोगों ने उनके पार्थिव शरीर को लेकर तिरंगा यात्रा निकाली। इस यात्रा में भारी भीड़ उमड़ी।
बिजेंद्र और अजय की भर्ती एक साथ ही हुई थी
शहीद बिजेंद्र सिंह दौराता झुंझुनूं के सिंघाना थाना इलाके के खुबा की ढाणी (डुमोली कलां) के रहने वाले थे और अजय सिंह भी इसी इलाके में भैसावता कलां के रहने वाले थे। शहीद अजय सिंह का अंतिम संस्कार हजारों लोगों की मौजूदगी में उनके पैतृक गांव भैसावता कला में किया गया। उनके भाई करण सिंह ने उन्हें मुखाग्नि दी। बिजेंद्र और अजय की भर्ती 2018 में एक साथ ही हुई थी। 15 जुलाई को दोनों एक साथ ही शहीद हो गए। आज दोनों का पैतृक गांव में अंतिम संस्कार किया गया है।
इस दौरान सरकार के प्रतिनिधि और जनप्रतिनिधि मौजूद रहे। शहीद अजय सिंह नरूका के पार्थिव देह को मंत्री राज्यवर्धन राठौड़ ने श्रद्धांजलि दी, वहीं शहीद बिजेंद्र कुमार दौराता को मंत्री जवाहर सिंह बेढ़म ने श्रद्धांजलि दी है। इसके साथ ही बड़ी संख्या में परिजन, सेना के लोग, आसपास के युवा और ग्रामीण भी अंतिम संस्कार में पहुंचे। ग्रामीणों ने दोनों शहीदों को नम आंखों के साथ सैल्यूट किया।
तिरंगा यात्रा में महिलाओं ने किया सैल्यूट
अंतिम संस्कार से पहले शहीदों के सम्मान में झुंझुनूं जिले के मुरादपुर से उनके पैतृक गांवों तक तिरंगा यात्रा निकाली गई। इस यात्रा में भारी भीड़ उमड़ी। यात्रा के दौरान रास्ते में पड़ने वाले गांव के लोग भी सड़क पर निकल आए। कई जगह महिलाओं ने एक साथ खड़े होकर शहीदों को सलामी दी।
15 जुलाई को आतंकी हमले में शहीद हुए थे
डोडा जिले में डेसा जंगल के धारी गोटे उरारबागी में राष्ट्रीय राइफल्स और जम्मू-कश्मीर पुलिस सोमवार से ही सर्च ऑपरेशन चला रही थी। इस दौरान आतंकवादी फायरिंग करते हुए भागे। भारतीय सेना के जवानों ने उनका पीछा किया। घना जंगल होने की वजह से आतंकी सुरक्षाबलों को चकमा देते रहे। सोमवार रात करीब 9 बजे फिर गोलीबारी हुई। इसमें बिजेंद्र सिंह और अजय सिंह समेत 5 जवान गंभीर रूप से घायल हो गए थे। इलाज के दौरान उन्होंने दम तोड़ दिया। बिजेंद्र और अजय सेना में राष्ट्रीय राइफल्स में तैनात थे।
शहीद अजय सिंह 18 जुलाई को घर आने वाला था
शहीद अजय के परिवार वालों से बात करके पता चला कि अजह 18 जुलाई को घर आने वाला था, लेकिन उन्हें क्या पता था कि अजय तिरंगा में लिपटा हुआ अपने घर आएगा। मां और पत्नी का रो रो कर बुरा हाल है, पिता बेसुध है लेकिन उन्हें अपने लाल पर गर्व है। दोस्त पड़ोसी सब हैरान है कि अजय 18 जुलाई को घर आने वाला था। लेकिन उन्हें क्या पता था कि उनका प्यारा अपनी जान देकर देश के लिए सर्वोच्च बलिदान देकर आएगा।
शहीद के पिता को 36 घंटे तक नहीं दी गई खबर
शहीद बिजेंद्र सिंह की शहादत की खबर उनके छोटे भाई दशरथ सिंह ने 36 घंटे तक अपने सीने में दबाए रखी। जब तक बिजेंद्र की पार्थिव देह घर के पास नहीं आ गई, तब तक घर वालों को इसकी जानकारी नहीं दी गई थी। बिजेंद्र के पिता रामजी लाल बुधवार सुबह घर के पास स्थित खेत में काम कर रहे थे और उनके घर पर अंतिम संस्कार की तैयारी के लिए टेंट लगाया जा रहा था। रामजी लाल ने टेंट लगते हुए देखा तो उन्होंने लाेगों से कारण पूछा, तब दशरथ सिंह खुद को रोक नहीं पाए और पिता से लिपटकर जोर-जोर से रो पड़े।