राजस्थान के बेरोजगार अब अपने हक की लड़ाई के लिए सड़कों पर उतरते हुए देर नहीं लगाते हैं. पंचायती राज मंत्री रमेश मीणा के आवास के बाहर आज हुए धरने और प्रदर्शन के बाद राजस्थान में एक और बड़े आंदोलन के हाथ नजर आ रही है. और यह आंदोलन प्रदेश के उन सैकड़ों बेरोजगारों की ओर से किया जा सकता है जो पिछले 13 साल से नियमित भर्ती का इंतजार कर रहे हैं. लेकिन हर बार इन बेरोजगारों को संविदा भर्ती से ही संतोष करना पड़ता है. पंचायती राज विभाग में JEN के पदों पर संविदा भर्ती की विज्ञप्ति के साथ ही बेरोजगारों के सब्र का बांध टूट चुका है. आज प्रदेश भर से बड़ी संख्या में एकत्रित हुए बेरोजगारों ने पंचायती राज मंत्री रमेश मीणा के आवास के बाहर धरना प्रदर्शन करते हुए भर्ती को नियमित करवाने की मांग उठाई.
क्यों बेरोजगार उतरे सड़कों पर, आखिर कौनसी है मांग
पंचायती राज JEN भर्ती संघर्ष समिति के प्रतिनिधियों ने बताया कि पिछले 13 सालों से पंचायती राज विभाग में JEN के पदों पर नियमित भर्ती का इंतजार किया जा रहा है. इसके साथ ही बजट घोषणा 2019-20 के अनुसार रिक्त 2605 JEN पदों पर प्रतियोगी परीक्षाओं के माध्यम से भर्ती करवाने की भी घोषणा की गई थी. लेकिन एक बार फिर से पंचायती राज एवं ग्रामीण विकास विभाग की ओर से इन पदों पर संविदा भर्ती करवाई जा रही है. पंचायती राज एवं ग्रामीण विकास विभाग में प्रस्तावित 5652 JTA पदों पर नई कांटेक्ट बेसेस भर्ती को जल्द रोकने का फैसला लेते हुए नियमित भर्ती के आदेश जारी किए जाएं.
क्या है पूरा मामला और बेरोजगारों में क्यों है आक्रोश
प्रदर्शन कर रही बेरोजगारों ने बताया कि विभाग में पिछले 13 सालों से JEN भर्ती नहीं हुई है. तथा वर्तमान में कुल 2605 पद रिक्त चल रहे हैं. जिसमें 544 स्थाई पद व 2061 नवसृजित पद वर्ष 2013 शामिल है. इसके साथ ही विगत कांग्रेस सरकार द्वारा साल 2013 में 2186 JEN पदों पर विज्ञप्ति निकाली थी. जो पूरी नहीं हो पाई. इसके साथ ही साल 2017 में भाजपा सरकार ने इस भर्ती को रद्द कर दिया गया था. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने साल 2019 20 बजट घोषणा में 2100 JEN पदों पर नियमित भर्ती की करवाने की घोषणा की थी. उसके बाद 15 मार्च 2022 को विधानसभा में पंचायती राज मंत्री रमेश मीणा द्वारा भी कि 2100 पदों पर नियमित भर्ती करवाने की घोषणा की गई थी. इस भर्ती को करवाने का प्रस्ताव दो बार दिसंबर 2020 में फरवरी 2022 में वित्त विभाग को भेजा गया था. लेकिन वित्त विभाग की सहमति नहीं मिली थी.